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Showing posts from 2017
वोह हसीन चेहरा और ख़ूबसूरत आँखे अक्सर आते हैं ख़्वाब-ओ-ख़यालों में! - मनोज 'मानस रूमानी'
वोह झाँक लेती है फूलों की खिड़की से...  नज़ारा जो रोशन है उसके नूर-ए-हुस्न से! - मनोज 'मानस रूमानी'
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चाँदनी रात में हसीन ताज़ को देख़कर करेंगे प्यार  क्योंकी चाँद नही..मोहब्बत की निशानी है ताज़..! - मनोज 'मानस रूमानी'
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जज़बात, प्यार में परेशान होता है.. संभाल के रखना इसे दिल कहेते है! - मनोज 'मानस रूमानी'
समां रंगीन करो विज्ञान के गुब्बारों से..  ना कि मैला करो दकियानूसी पाखंड़ से! - मनोज 'मानस रूमानी'
केसरियाँवालों जानों लेखक-कलाकारों को बैर नहीं..इंसानियत प्यार चाहनेवालों को! - मनोज 'मानस रूमानी'
सरहदें तो पहले ही बनी बाटने वतन...  अब ना बाटो समाज और न छेदों दिल! - मनोज 'मानस रूमानी'
तसव्वुर में वह अक़सर आते  ना जाने कब दीदार हो जाये! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ मुश्क़िल मोड़ है ज़िंदगी के.. बस आरज़ू यहीं मंज़िल तो हसीन मिले! - मनोज 'मानस रूमानी'
सरहदें-दीवारें ना खड़ी करों  दोस्तीं-प्यार के पूल बांधो! - मनोज 'मानस रूमानी'
हरे पत्तों से आती सूरज की किरणें  भर दे रोशनी अंधियारी जिंदगी में! - मनोज 'मानस रूमानी'
रहे सब ज़िंदगियाँ सलामत  मनाते रहें दिवाली और ईद! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ लहरों का समंदर है इश्क़  प्यार का जुनून हो तो मिलते है दिल! - मनोज 'मानस रूमानी'
डीमोनेटायझेशन में बेवज़ह पीस गए आम.. नौ दो ग्यारह तो पहले ही हो चुके थे खास.! अब हो रही है कैशलेस इकॉनमी की बात.. फिरसे मुनाफ़ेदार खास और कैशलेस आम! - मनोज 'मानस'
दूर से लुभावना लगता है महानगर  जान लो कैसे लेते है ज़िंदगी गुज़ार! - मनोज 'मानस रूमानी'
ग़ुलाबी लबों ने की इज़हार-ए-मोहब्बत.. हुस्न से हुई दिल-ए-आशिक़ पर इनायत! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़िंदगी भी इंद्रधनुष की तरह ही है.. सुख-दुख-प्यार ऐसे सतरंग है इसमें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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नीला आसमाँ..झील  इनमें ख़िले पर्बत! चाहीए गुलाबी रंग  लाए वह मोहब्बत! - मनोज 'मानस रूमानी'
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डूबता सूरज देखकर नाव में यह सफर  होगा हसीन जब पास होगा मेरा चाँद! - मनोज 'मानस रूमानी'
सब कुछ निजी बख़ूबी छुपा जाएगा  लेकिन आँखे इश्क़ कर देंगी बयां! - मनोज 'मानस रूमानी'
इतना जोर नहीं है समंदर की लहर में  मिटा दे साथ चले प्यार की निशानें! - मनोज 'मानस रूमानी'
तुम्हारा यूँ अंजाने में छू कर गुज़रना.. रेशमी अहसास था प्यार जगानेवाला! - मनोज 'मानस रूमानी'
'देवदास' तब तक बार बार होते रहेंगे... जब तक मोहब्बत सफल होने नहीं देंगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
रू-बरू जब भी होते है आप के हुस्न से. . मोरपंख गुजरता है इस दिल-ए-इश्क़ से! - मनोज 'मानस रूमानी'
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दिखता है मायूस चाँद उपर आसमाँ का  शायद देखा बेदाग हुस्न हमारे चाँद का! - मनोज 'मानस रूमानी'
दोस्ती मुबाऱक! अच्छे स्नेही-प्रियजनों का साथ रहेना.. दिखता है ख़ूबसूरत फ़ूलों का गुलदस्ता! - मनोज 'मानस रूमानी'
सरहदों के उस पार भी  करते है हमें प्यार कोई! धड़के है दिल हमारा भी  उनसे हमें भी है इश्क़ ही! - मनोज 'मानस रूमानी'
सरहदें नहीं रोक सकती.. मोहब्बतें इस-उस पार की! - मनोज 'मानस रूमानी'
वह फूलों का दुपट्टा लपेटे है  या नर्गिस को फूल समेटे है! शरमाया उसमें हसीन रुख़ है  या चाँदनियों से घिरा चाँद है! - मनोज 'मानस रूमानी'
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फ़िरदौस-ए-वतन! क़ुदरत का हक़ीक़त में हसीन ख़्वाब है यह  झीलों, रंगीन फूलों-पत्तों का शबाब है यह! प्रेमियों को लुभानेवाला खास गुलशन है यह  हुस्न-ओ-इश्क़ का हमेशा जवाँ नज़ारा है यह! - मनोज 'मानस रूमानी'
जिस जहाँ में तुम नफ़रत फैला रहे हो  उसी जहाँ में हम मोहब्बत बढ़ा रहे है! - मनोज 'मानस रूमानी'
तेरे इश्क़ के ग़ुलाबी रंग में..  मेरे अश्क़ का पानी न मिले! - मनोज 'मानस रूमानी'
खूब बनाते रहीए नए दोस्त दुनियाँ में..  ध्यान रहें इसमें पुराने दोस्त न बिछड़े! - मनोज 'मानस रूमानी'
कुदरत का हक़ीक़त में हसीन ख़्वाब हो तुम..  गुलशन में खिला हुआ लुभावना फूल हो तुम! चित्रकार ने बनायी ख़ूबसूरत तस्वीर हो तुम  शायर ने लिखी हुई दिलक़श नज़्म हो तुम! - मनोज 'मानस रूमानी'
ईद के वक़्त लिखा..  कहते इंतज़ार-ए-चाँद ऐसा है..  जैसे कोई अपने मेहबूब का करे! हमारी मुबाऱकबाद कबूल कर ले  चाँद रात के खूब शबाब के लिए! - मनोज 'मानस रूमानी'
ईद के वक़्त लिखा..  ईद आते ही नज़दीक  रूमानी हो जाए दिल! ख्वाहीश ईदी की यह  कि हो दीदार-ए-हुस्न! - मनोज 'मानस रूमानी'
आने से यहाँ उसके गुलज़ार हो गया  अब खाली नहीं रहा यह दिल हमारा  प्यार से यहाँ सिर्फ उसी को है रखना  चाह कर उसे दिल-ओ-जान से ज़्यादा! - मनोज 'मानस रूमानी'
होती होगी लोगों की सुबह भगवान के दर्शन से.. हमारी सबा होती है उनकी ख़ूबसूरत छवि देख के  सोने से पहले लोग नाम उपरवाले का जपते होंगे.. हम शब्बा ख़ैर करते ख़्वाब में दीदार-ए-हुस्न करने! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न आपका हमेशा खिलता रहें  शायरी हमारी रूमानी होती रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'
मेरी पहली रुबाई! यह रुबाई नज़र कर रहा हूँ किसी ज़माने की अच्छी सहेली को..जो हमेशा साथ रहेती थी..लेकिन मैं ही उसके जज़्बात समझ नहीं सका! अब काश वह यह जान ले!...  हमसफ़र ! हमको वह कहते है की 'अब हमसफ़र बनाओ किसीको!' अब उनको यह कैसे कहे की 'बनाना तो था आप ही को!' दिमाख कोशिश करता है काबू करने जज़्बात-ए-दिल को  लेकिन दिल है के ज़ेवर की तरह संभाल के रखा है उनको! - मनोज 'मानस रूमानी'
देखता हूँ एक चेहरा ख़ूबसूरत.. रहेता है अक़सर गुमसुम मायूस  कैसे खिलेंगी इस पर तबस्सुम? शायद मोहब्बत हो इसका हल! - मनोज 'मानस रूमानी'
माना हूर हो आसमान से आयी  माना नूऱ हो रोशन-ए-हुस्न की! अगर इनायत हो जाए शबाब की  तो बरक़त है आशिक़-ए-जहाँ की! - मनोज 'मानस रूमानी'
ख़्वाबगाह  में हो दीदार-ए-हुस्न इस ख़याल से करते शब्बा ख़ैर! - मनोज 'मानस रूमानी'
रूमानियत भरा था लिखना.. मिज़ाज़ भी हमारा शायराना! शुक्रगुज़ार हूँ हुस्नवालों का.. कि शायर 'रूमानी' बना दिया! - मनोज 'मानस रूमानी'
हो अपने देस में..या हो परदेस  होता वैसा लिबास..वैसा अंदाज़  हो बारीश, जाड़ों या ग़र्मी के दिन  चमकता है उसका..नूऱ-ए-हुस्न! - मनोज 'मानस रूमानी'
इंतज़ार-ए-ग़ुल! गुलशन-ए-जहाँ हो रहें है आबाद  खिल, महेक रहां है गुल हर जगह  चमनवाले हो रहें है अब मुश्ताक़  कब हो जाए उनको दीदार-ए-गुल! - मनोज 'मानस रूमानी'
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चाँदनी रात में हसीन ताज़ को देखकर करेंगे प्यार क्योंकी चाँद नहीं..मोहब्बत की निशानी है ताज़.! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुँह मोड़ना भी अदा होती है हुस्न की..  शिक़वा, कुछ सोच होती है ज़माने की! इश्क़ के अलावा भी रहती चाहत कभी..  पाक़ ख़याल और दिल समझा करे कोई! - मनोज 'मानस रूमानी'
निखर जाए दिल-ए-आशिक़  बस वह नूऱ-ए-शबाब हो तुम  चमन में जिस पर ठहरे नज़र  वह लाजवाब नर्गिस हो तुम! - मनोज 'मानस रूमानी'
यूँ तो हम पहले से ही रूमानी मिज़ाज के  और उसमें हसीनाओं के दीदार होते रहें! तो तारीफ़-ए-हुस्न लिखें बग़ैर कैसे रहेतें  बस ख्वाहीश की हुस्न से शायरी होती रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'
जब भी रु-ब-रु हुए..बात तो हो न सकी  कुछ हमारे उसूल..कुछ उनकी जल्दी! ज़ुस्तज़ु थी यहां..और इक़रार वहां भी  रिवाज़ों पर चलती..वह बिदा हो गयी! उम्र गुज़री पर ..दिल-ओ-दिमाख वहीं  प्यार से संभाले..हसीन यादें ही सहीं! - मनोज 'मानस रूमानी'
मासूम जिंदगियाँ क्यों कुचलते हैं यह  इंसान हो कर हैवान क्यों होते हैं यह! इतना बेक़ाबू हो रहा है सिरफिरापन प्यार, जज़्बात-ए-दिल भी करे ख़तम! - मनोज 'मानस रूमानी'
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झगमग उठे दिवाली के रंगीन दिये लाए खुशी, प्यार सबके जिंदगी में! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़िंदगी में तशरीफ़ लाइए नूऱ की तरह..  और रोशन कीजिए हमारा जहाँ-ए-इश्क़! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सब तऱफ चाँदनियाँ छा गई है..  बस वह हसीन तारा दिखाई दे ! - मनोज 'मानस रूमानी'
अमर आशिक़! जब तक होंगी दुनियाँ में मोहब्बत .. चाँद को देख़कर होगा मासूम प्यार.. ताज़महल है सच्चे प्यार की मिसाल  होते रहेंगे हीर-रांझा, सोहनी-महीवाल  फ़ना है लैला-मजनु, रोमिओ-जुलिएट  पारो के लिए तड़पते रहेंगे देवदास.. फिर भी न होने देंगे इन्हे बदनाम  उन्होंने ही किया था सच्चा प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
कहीं दीवारें..कहीं सरहदे  सीमाओं में बंद मोहब्बतें! फिर भी ज़ोर-ए-ज़ज्बातेँ  रहें पैग़ाम-ए-प्यार फैलाएं! - मनोज 'मानस रूमानी' .. 
फूलों से समेटा देखा चेहरा हसीन.. गालों पे थी निखरी गुलाबी रंगत.. उस पर खिलखिलाती तबस्सुम .. सोचा कहूं तुम ही ज़ीनत-ए-गुलशन! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ कितने है रंग हमारे .. मिले है फिर भी तीन ही रंगों में  जुदा करने के कैसे भी हो इरादे  बहरहाल, हम तो प्यार चाहेंगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
कहीं दीवारें..कहीं सरहदें  सीमाओं में बंद मोहब्बतें  फिर भी ज़ोर-ए-ज़ज्बातेँ.. रहें पैग़ाम-ए-प्यार फैलाएँ! - मनोज 'मानस रूमानी'
रु-बरु की गुँजाइश नहीं.. दीदार-ए-यार ख़्वाब में ही  वैसे भी अब मुलाक़ात की  हसींन कहानी नहीं होंगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ना रोकीए प्यार को.. ऐसे किसी बहाने से..! सच्ची मोहब्बत भी है  मौज़ूद अभी ज़माने में! - मनोज 'मानस रूमानी'
रोमिओ, मजनु थे सच्चे आशिक ही..  उनकी माशुकाएँ भी थी उन्हें चाहती ! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हो कोजागरी 'चाँद' का दीदार और हो रूमानी हमारी शब.! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज की कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर चाँद पर मेरे शेर पेश कर रहां हूँ!   दिखता है मायूस चाँद उपर आसमाँ का  शायद देखा बेदाग़ हुस्न हमारे चाँद का! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज की कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर चाँद पर मेरे शेर यहाँ पेश कर रहां हूँ!   डूबता सूरज़ देखकर नाव में यह सफ़ऱ  होगा हसीन जब पास होगा मेरा चाँद! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज की कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर चाँद पर मेरे शेर यहाँ पेश कर रहां हूँ! सूरज़ डूबता समंदर का नज़ारा इंतज़ार है बस मेरे चाँद का.! - मनोज 'मानस रूमानी'
इब्तदा-ए-इश्क़ हमेशा ही हुआ..  इज़हार-ए-हाल सिर्फ़ नहीं हुआ! जज़्बा-ए-मोहब्बत भी नहीं थमा  क्यों की दीदार-ए-हुस्न होता रहां! - मनोज 'मानस रूमानी'
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दशहरा की शुभकामनाएं। - मनोज कुलकर्णी
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यादों के झरोखे से.! रूमानियत भरा था लिखना.. मिज़ाज भी हमारा शायराना! शुक्रग़ुज़ार हूँ हुस्नवालों का.. कि शायर रूमानी बना दिया! - मनोज 'मानस रूमानी'
पैग़ाम! होली मुबाऱक सरहद पार भी दिखायी दी  धर्म-निरपेक्षता की बात वहां भी गूँजी.. शायरी, रफ़ी आवाज़ की चाहत भी सुनी  अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही ! भाईचारा, मोहब्बत की बात भा गयी  इंतज़ार है यह दिलों का मिलन ही..  मिटा दे इस-उस पार की दूरी भी..  अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही ! एक है जड़, ज़ुबान संस्कृति हमारी  दुनियाँ में मिसालें है फिर जुड़ने की.. काश यह ख़्वाब हो जाए हक़ीक़त भी  अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही! - मनोज 'मानस रूमानी'
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मिसाल-ए-मोहब्बत ताज़ दुनियाँ में हमारे पास! मिटाएं जहाँ की नफ़रत सिखाएं सबको प्यार!  - मनोज 'मानस रूमानी'
शबाब! नज़ाक़त से भरी यह चाल, अदाएं  हवा का रुख़ बदलती रेशमी जुल्फ़ें बेशुमार प्यार भरी पंखुड़ियों सी आँखे  दिल-ए-आशिक़ संभल जाए भी कैसे? ग़ुलाबों रंगत लिए लबों की बहारें गाल पर तिल की बचे नज़रों से  ज़ीनत तुम गुलशन-ए-हुस्न से  दिल-ए-आशिक़ संभल जाए भी कैसे? - मनोज 'मानस रूमानी'
मोहब्बत में सब जहाँ प्यारा लगता  नहीं तो कुछ भी ग़वारा नहीं लगता  - मनोज 'मानस रूमानी'
"हो मोहब्बत का गेरुआ पर ना भाये केसरिया! हम तो चाहे हमारा.. तीन रंगों का प्यारा! और याद आ रहा है.. 'रंग दे बसंती चोला'!" - मनोज 'मानस रूमानी'
सलामत रहे! "पढ़ना, लिखना, संगीत, कलाएँ.. अच्छे ख़ूबसूरत ज़िन्दगी के लिए इंसानियत, प्यार फ़ैले जिससे... नहीं छीनना यह किसीसे...!" - मनोज 'मानस रूमानी'
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बहती रहे अमन की हवा ऐसी नसीम सरहदों के पार जहाँ के मिला दे दिल - मनोज 'मानस रूमानी'
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"उर्दू ज़ुबान, शायरी की मिठास  हुस्न-इश्क़ का दिलक़श साज़..  तहज़ीब, अदब की नवाबी शान  देखेंगे लख़नऊ का यह अंदाज़!"  - मनोज 'मानस रूमानी'
"काश आप रहनुमा होते राह भटके ज़िन्दगी के.! हमराह यूँ  हसींन होते.. इश्क़ में भी शरीक़ होते!" - मनोज 'मानस रूमानी'
"रह गया करना इज़हार-ए-मोहब्बत समां भी चला गया..हाय रे क़िस्मत!" - मनोज 'मानस रूमानी'
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मेरी शायरी पढ़ने के लिए आपका मेरे इस 'शायराना' ब्लॉग पर स्वागत है!  इसमें मैं..मनोज 'मानस रूमानी' नाम से शेर/शायरी/रुबाई /नज़्म लिखुंगा! - मनोज कुलकर्णी ('चित्रसृष्टी ', पुणे )