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Showing posts from October, 2017
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चाँदनी रात में हसीन ताज़ को देखकर करेंगे प्यार क्योंकी चाँद नहीं..मोहब्बत की निशानी है ताज़.! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुँह मोड़ना भी अदा होती है हुस्न की..  शिक़वा, कुछ सोच होती है ज़माने की! इश्क़ के अलावा भी रहती चाहत कभी..  पाक़ ख़याल और दिल समझा करे कोई! - मनोज 'मानस रूमानी'
निखर जाए दिल-ए-आशिक़  बस वह नूऱ-ए-शबाब हो तुम  चमन में जिस पर ठहरे नज़र  वह लाजवाब नर्गिस हो तुम! - मनोज 'मानस रूमानी'
यूँ तो हम पहले से ही रूमानी मिज़ाज के  और उसमें हसीनाओं के दीदार होते रहें! तो तारीफ़-ए-हुस्न लिखें बग़ैर कैसे रहेतें  बस ख्वाहीश की हुस्न से शायरी होती रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'
जब भी रु-ब-रु हुए..बात तो हो न सकी  कुछ हमारे उसूल..कुछ उनकी जल्दी! ज़ुस्तज़ु थी यहां..और इक़रार वहां भी  रिवाज़ों पर चलती..वह बिदा हो गयी! उम्र गुज़री पर ..दिल-ओ-दिमाख वहीं  प्यार से संभाले..हसीन यादें ही सहीं! - मनोज 'मानस रूमानी'
मासूम जिंदगियाँ क्यों कुचलते हैं यह  इंसान हो कर हैवान क्यों होते हैं यह! इतना बेक़ाबू हो रहा है सिरफिरापन प्यार, जज़्बात-ए-दिल भी करे ख़तम! - मनोज 'मानस रूमानी'
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झगमग उठे दिवाली के रंगीन दिये लाए खुशी, प्यार सबके जिंदगी में! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़िंदगी में तशरीफ़ लाइए नूऱ की तरह..  और रोशन कीजिए हमारा जहाँ-ए-इश्क़! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सब तऱफ चाँदनियाँ छा गई है..  बस वह हसीन तारा दिखाई दे ! - मनोज 'मानस रूमानी'
अमर आशिक़! जब तक होंगी दुनियाँ में मोहब्बत .. चाँद को देख़कर होगा मासूम प्यार.. ताज़महल है सच्चे प्यार की मिसाल  होते रहेंगे हीर-रांझा, सोहनी-महीवाल  फ़ना है लैला-मजनु, रोमिओ-जुलिएट  पारो के लिए तड़पते रहेंगे देवदास.. फिर भी न होने देंगे इन्हे बदनाम  उन्होंने ही किया था सच्चा प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
कहीं दीवारें..कहीं सरहदे  सीमाओं में बंद मोहब्बतें! फिर भी ज़ोर-ए-ज़ज्बातेँ  रहें पैग़ाम-ए-प्यार फैलाएं! - मनोज 'मानस रूमानी' .. 
फूलों से समेटा देखा चेहरा हसीन.. गालों पे थी निखरी गुलाबी रंगत.. उस पर खिलखिलाती तबस्सुम .. सोचा कहूं तुम ही ज़ीनत-ए-गुलशन! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ कितने है रंग हमारे .. मिले है फिर भी तीन ही रंगों में  जुदा करने के कैसे भी हो इरादे  बहरहाल, हम तो प्यार चाहेंगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
कहीं दीवारें..कहीं सरहदें  सीमाओं में बंद मोहब्बतें  फिर भी ज़ोर-ए-ज़ज्बातेँ.. रहें पैग़ाम-ए-प्यार फैलाएँ! - मनोज 'मानस रूमानी'
रु-बरु की गुँजाइश नहीं.. दीदार-ए-यार ख़्वाब में ही  वैसे भी अब मुलाक़ात की  हसींन कहानी नहीं होंगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ना रोकीए प्यार को.. ऐसे किसी बहाने से..! सच्ची मोहब्बत भी है  मौज़ूद अभी ज़माने में! - मनोज 'मानस रूमानी'
रोमिओ, मजनु थे सच्चे आशिक ही..  उनकी माशुकाएँ भी थी उन्हें चाहती ! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हो कोजागरी 'चाँद' का दीदार और हो रूमानी हमारी शब.! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज की कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर चाँद पर मेरे शेर पेश कर रहां हूँ!   दिखता है मायूस चाँद उपर आसमाँ का  शायद देखा बेदाग़ हुस्न हमारे चाँद का! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज की कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर चाँद पर मेरे शेर यहाँ पेश कर रहां हूँ!   डूबता सूरज़ देखकर नाव में यह सफ़ऱ  होगा हसीन जब पास होगा मेरा चाँद! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज की कोजागरी पूर्णिमा के अवसर पर चाँद पर मेरे शेर यहाँ पेश कर रहां हूँ! सूरज़ डूबता समंदर का नज़ारा इंतज़ार है बस मेरे चाँद का.! - मनोज 'मानस रूमानी'
इब्तदा-ए-इश्क़ हमेशा ही हुआ..  इज़हार-ए-हाल सिर्फ़ नहीं हुआ! जज़्बा-ए-मोहब्बत भी नहीं थमा  क्यों की दीदार-ए-हुस्न होता रहां! - मनोज 'मानस रूमानी'