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Showing posts from February, 2018
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आसमाँ से आयी थी... लौट गयी वहाँ चाँदनी! - मनोज 'मानस रूमानी'
कभी यह ख़फ़ा..कभी वह नाराज़ परेशान अभिव्यक्ती और प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
नफ़रत बढ़ रहें जहाँ में.. चाहतां हूँ बस प्यार फ़ैले! - मनोज 'मानस रूमानी'
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प्रपोज़ डे पर लिखा ... इश्क़ तो हुस्नवालों से हो जाता है.. इज़हार-ए-मोहब्बत कर नहीं पाते! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज के रोज़ डे  पर लिखा... उसे कौनसा नज़र करे ग़ुलाब? ज़ीनत है वह गुलशन-ए-हुस्न! - मनोज 'मानस रूमानी'
वैलेंटाइन दिनों में खास: या हबीबी, तुम ही हो जहांन-ए-इश्क़.. सुकून-ए-दिल और हयाती! - मनोज 'मानस रूमानी'
गूँजते थे जहाँ प्यार के तराने  वह ताज़ अब क्या क्या सूने! - मनोज 'मानस रूमानी'
मोहब्बत मज़हब है प्यार करनेवालों का  इंसानियत क्यूँ न हो कुचलनेवालों का?  - मनोज 'मानस रूमानी'